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वार्ता के तन्त्र

रेल मंत्रालय ने मान्यता प्राप्त यूनियन को हर स्तर पर ऐसे मंच उपलब्ध कराये है जिनसे रेल कर्मचारियों की उचित समस्याओं को उचित स्तर पर उठा कर हल कराया जा सके। ऐसे वार्ता के तन्त्र निम्न है:

परमानेन्ट निगोशियेरिंग मशीनरी (PNM)

कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु प्रशासन एवं कर्मचारियों के मध्य एक त्रिस्तरिय पी.एन.एम./स्थाई वार्ता तन्त्र की स्थापना 1951 मे की गयी। यह PNM (परमानेन्ट निगोशियेटिंग मशीनरी) रेलवे बोर्ड, जोनल एवं मंडल स्तर पर कार्य करती है। मंडल स्तर पर हर दो महीनें, जोनल स्तर पर हर तीन महीने एवं रेलवे बोर्ड स्तर पर हर चार महीने में एक बार बैठक का आयोजन कर कर्मचारियों की समस्याओ का समाधान प्रशासन द्वारा किया जाता है। यदि मंडल स्तर पर किसी मुद्दे पर प्रशासन एवं यूनियन के मध्य सहमति नही बनती तो उक्त मुद्दे को जोनल एवं रेलवे बोर्ड PNM में रेफर कर सकने का भी प्रावधान है। इसके बाद भी महत्वपूर्ण मुद्दो पर यदि रेलवे बोर्ड स्तर पर भी सहमति नही बनती तो उस दशा में मुद्दों को बोर्ड आफ आरबीट्रेशन में ट्रिब्यूनल के आदेश को मानने या न मानने या उसमे संशोधन करने को अधिकार सुरक्षित है।
वर्ष 1960 के बाद कई वर्षो तक PNM को और अधिक उपयोगी एवं प्रभावी बनाने के लिये छथ्प्त् नियमों मे बदलाव हेतु प्रयासरत रही है और काफी हद तक उसमें सफल भी हुई। PNM के नियमों के अन्तर्गत ही NFIR ने वार्ता के जरिये दो ट्रिब्यूनल प्राप्त किये जिसमें पहला शंकर शरन ट्रिब्यूनल 1961 एवं दूसरा रेलवे लेबर ट्रिब्यूनल 1969 था, जिसे जस्टिस मियाँभाय ट्रिब्यूनल नाम से भी जाना जाता है।

ज्वाईन्ट कन्सलटेटिव मशीनरी (JCM)

NFIR का हमेशा से यह दृष्टिकोण रहा है कि चूँकि नियोक्ता एवं कर्मचारी के बीच विभिन्न मुद्दो पर मतभेद निश्चित ही सम्भव है एवं कर्मचारी वर्ग को मुद्दे पर असहमत होने का अधिकार है। ऐसी दशा मे मुद्दे को अनिवार्य रूप से ऐसे आरबीट्रेशन हेतु भेजा जाना चाहिये जिसका फैसला दोनो पक्षों के लिए बाध्यकारी हो। इस दिशा में NFIR का लगातार प्रयास रंग लाया एवं अक्टूबर 1968 मे एक ज्वाइन्ट कन्सलटेटिव मशीनरी का गठन किया गया। यह तय किया गया कि राष्ट्रीय स्तर की इस केन्द्रीय मशीनरी मे सभी केन्द्रीय कर्मचारियों के सभी विभागों के विवादो का निपटारा केन्द्रीय सरकार के द्वारा वार्ता के माध्यम से किया जा सकेगा। साथ ही, वेतन एवं भत्ते, कार्य के घन्टक एवं छुट्टी के तीन ऐसे मुद्दे होंगे जिन पर असहमति होने पर मुद्दे को अनिवार्य रूप से आरबीट्रेशन हेतु एक त्रिपक्षीय बोर्ड ऑफ़ ऑर्बिट्रेशन के पास भेजा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के जज करेंगे और जिनका फैसला दोनो पक्षों पर बाध्यकारी होगा।

बोर्ड ऑफ़ ऑरबीट्रेशन

NFIR ने सत्तर के दशक की शुरूआत में कई महत्वपूर्ण मुद्दो पर बोर्ड ऑफ़ ऑरबीट्रेशन/JCM के द्वारा कर्मचारियों के वेतन एवं कैरियर उन्नयन में सुधार करवाने में सफलता पाई जैसे गैंगमैन को सेमी स्किल्ड का ग्रेड दिलवाना, सभी ग्रुप ‘‘सी’’ एवं ‘‘डी’’ स्टाफ को ट्रान्सफर अलाउन्स दिलवाना, लोको फोरमैन को 150 रूपये प्रतिमाह की स्पेशल पे दिलवाना, स्टाक वेरीफायर की पे स्केल रिवाइज कराना, फायर मैन ग्रेड ‘‘बी’’ को रू0 260-350 का वेतनमान दिलवाना, शंटर ‘‘बी’’ को शंटर ‘‘ए’’ के बराबर
पे-स्केल दिलवाना, जूनियर एवं सीनियर अकाउन्टेन्ट के पे स्केल को मर्ज कराना, वर्कशाप स्टाफ को 12 दिन की कैजुअल लीव दिलवाना, रनिंग स्टाफ के रनिंग अलाउन्स मे समय-समय पर सुधार करवाना आदि।

पार्टिशिपेशन ऑफ़ रेलवे इम्पलाईज इन मैनेजमेन्ट (PREM)

रेलवे के इतिहास में मैनेजमेन्ट मे मजदूरो की भागीदारी सुनिश्चित करने का पहला प्रयास सन् 1972 में रेल मंत्रालय द्वारा किया गया एवं कारपोरेट ईन्टरप्राईज ग्रुप (CEG) का गठन किया गया, जिसमें NFIR एवं AIRF के नेताओं को शामिल किया गया। इस मंच पर मजदूर संघटनों को यह मौका दिया गया कि वे न केवल रेल वर्किंग पर अपना दृष्टिकोण रखें बल्कि रेलवे की कार्य क्षमता में सुधार हेतु अपने सुझाव भी दें। सन् 1994 में इस तंत्र को और व्यापक बनाते हुए रेलवे बोर्ड ने इसे पुर्नगठित किया एवं इसको प्रेम (पार्टिशिपेशन ऑफ़ रेलवे इम्पलाइज इन मैनेजमेन्ट) का नाम देते हुए रेलवे बोर्ड, जोनल एवं मंडलीय स्तर पर गठित किया। साथ ही इसकी वर्किंग को मानिटर करने हेतु सेक्रेटरी रेलवे बोर्ड के अधीन एक सेल का भी गठन किया गया।
मई सन् 1995 को नई दिल्ली में मई दिवस के दिन पहली बार PREM की बैठक में रेल मंत्री रेलवे बोर्ड के सदस्यों एवं महाप्रबन्धको के साथ दोनो फेडरेशन के शीर्ष नेताओ ने भाग लिया। इसमें NFIR ने रेलवे बोर्ड को आश्वस्त किया कि रेल संरक्षा के मुद्दे पर फेडरेशन सदा उनके साथ है एवं यह सुझाव दिया कि रेलवे के जमीनी कर्मचारियों को शिक्षित किया जाय एवं सभी नियमों की किताबें हिन्दी एवं अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रिय भाषाओं में भी छपवाई जाय।