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ज्वाईन्ट कन्सलटेटिव मशीनरी ( JCM)

NFIR का हमेशा से यह दृष्टिकोण रहा है कि चूँकि नियोक्ता एवं कर्मचारी के बीच विभिन्न मुद्दो पर मतभेद निश्चित ही सम्भव है एवं कर्मचारी वर्ग को मुद्दे पर असहमत होने का अधिकार है। ऐसी दशा मे मुद्दे को अनिवार्य रूप से ऐसे आरबीट्रेशन हेतु भेजा जाना चाहिये जिसका फैसला दोनो पक्षों के लिए बाध्यकारी हो। इस दिशा में NFIR का लगातार प्रयास रंग लाया एवं अक्टूबर 1968 मे एक ज्वाइन्ट कन्सलटेटिव मशीनरी का गठन किया गया। यह तय किया गया कि राष्ट्रीय स्तर की इस केन्द्रीय मशीनरी मे सभी केन्द्रीय कर्मचारियों के सभी विभागों के विवादो का निपटारा केन्द्रीय सरकार के द्वारा वार्ता के माध्यम से किया जा सकेगा। साथ ही, वेतन एवं भत्ते, कार्य के घन्टक एवं छुट्टी के तीन ऐसे मुद्दे होंगे जिन पर असहमति होने पर मुद्दे को अनिवार्य रूप से आरबीट्रेशन हेतु एक त्रिपक्षीय बोर्ड ऑफ़ ऑर्बिट्रेशन के पास भेजा जाएगा, जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के जज करेंगे और जिनका फैसला दोनो पक्षों पर बाध्यकारी होगा।